8TH SEMESTER ! भाग- 112( A Mortel Step-2)
"उन दो लड़को को तो जानते ही होगे,जिन्होने मुझपर और अरुण पर एफ.आइ.आर. किया था..."मैं सीधे पॉइंट पर आ गया,क्यूंकी अब लंच ख़तम ही होने वाला था और मैं नही चाहता था कि वर्कशॉप वाला फ़ौजी मुझपर फ़ाइल के साथ साथ लेट आने के लिए भी मिसाइल दागे....
"हां, नाम से जानता हूँ,..."
"वो दोनो बहुत उड़ रहे है,दोनो को ज़मीन पर लाने का है "
"अभी मुश्किल से तू कैंटीन वाले केस से बचा है और अब नया लफडा...अबे तू शांति से इंजिनियरिंग क्यूँ नही करता..."
"वो क्या है एमटीएल भाई...कि जब दो अहंकारी लोग टकराते है तो ऐसा धमाका होते ही रहता है...उन दोनों को थोड़ा सा हम हॉस्टल वालो की पॉवर दिखानी है..."
"तो इसमे मैं क्या करूँ...लड़के तो तेरी बात मान ही लेंगे, सबको साथ ले जा कर उन दोनो को फोड़ डाल...इसमे प्राब्लम क्या है..."
"प्राब्लम ये है कि इस वाले हॉस्टल वॉर्डन से मेरी जमती नही है और जितना मुझे मालूम है उसके हिसाब से हमारा हॉस्टल वॉर्डन आपके दोस्त की तरह है..."
"अबे सीधे-सीधे बोल कि करना क्या है....."
मैने एमटीएल भाई को क्या करना है,ये बताया और उसके बाद अपनी प्रैक्टिकल कॉपी और ड्रॉयिंग शीट लेकर वर्कशॉप की तरफ चल पड़ा....
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"रोल नंबर- डबल वन ..."
"प्रेज़ेंट सर..."वर्कशॉप के बाहर से ही मैं प्रेजेंट चिल्लाया"मे आइ कम इन सर..."
"अंदर आओ और अपने हथियार निकाल कर जंग के लिए तैयार हो जाओ..."
"मैं तैयार हूँ सर..."
"गुड लक...."उसके बाद उस फ़ौजी ने अपने हाथ मे रखी लिस्ट पर नज़र डाली और पूरा दम लगाकर चीखा"रोल नंबर 12...."
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"तेरी हालत ऐसी क्यूँ है बे,तेरा रोल नंबर तो मेरे बाद ही आएगा..."अंदर घुसते ही अरुण को डरा -सहमा देख मैने उससे पूछा
"उधर देख...साला वो फ़ौजी आज गोली नही मिसाइल दाग़ रहा है...एक की उसने ड्रॉयिंग रेड पेन से लाल कर दी मतलब 5 नंबर गये,...उस लड़के का ड्रॉयिंग तो मुझसे बहुत ठीक-ठाक था,जब उसकी ये हालत है तो मेरा क्या होगा...यही सोचकर मैं परेशान हो रहा हूँ...."
"मैं तो बच जाउन्गा "
"कैसे...अपनी ड्रॉयिंग शीट दिखा तो..."
"अबे ,तूने अभी तक एक चीज़ नोटीस की या नही..."जब अरुण ने मेरी ड्रॉयिंग शीट की तरफ अपने हाथ बढ़ाया तो मैने उसके हाथ को रोक उससे पुछा...
"अरे इधर फटी पड़ी है और तू गोल-मोल सवाल कर रहा है..."
"घड़ी देख, अपना फ़ौजी हर एक बंदे को ठीक 15 मिनिट्स तक रेमंड पर लेता है,ना एक सेकेंड कम और ना ही एक सेकेंड अधिक...."
"तुझे कैसे पता..."
"अबकी बार जब रोल नंबर 10 वाला लड़का जाए तो टाइम देख लेना...उसकी टेबल पर रखी स्टॉप . तब चालू होती है जब कोई स्टूडेंट अपनी फाइल खोलकर रखता है और वो 15 मिनिट्स तक उस स्टूडेंट पर बॉम्ब फोड़ता है और फिर बेज़्जती करके भेज देता है और फिर बाद वाले स्टूडेंट को 10 सेकेंड्स के अंदर ही वहाँ पहुचना है,जिसके बाद उस फ़ौजी की स्टॉप वॉच फिर चालू हो जाती है..... लास्ट टाइम भी उसने यही किया था.अब भी वही कर रहा है... इसलिए कोशिश करना ही उसके नाम लेने के 10 सेकंण्ड्स के भीतर उसके पास पहुंच जाना..वरना पहले ही पेल देगा वो "
"ये सब क्या उस छोटे कद वाले फ़ौजी ने तेरे सपने मे आकर कहा "
"दिमाग़, छोटे.... दिमाग़... कभी उसका भी इस्तेमाल कर लिया कर..."
"और यदि उसके पास पहुचने मे 10 सेकेंड्स से ज़्यादा वक़्त लग गया तो..."
"तो फिर वो उस लड़के/लड़की की प्रैक्टिकल कॉपी और ड्रॉयिंग शीट को पेल देगा, खुन्नस मे और बारिकी से चेक करेगा... .इसलिए मर्दो की तरह लंबे-लंबे कदम बढ़ाना...वरना वहाँ पहुचने से पहले ही पेला जाएगा...समझा...."
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थोड़ी देर तक अरुण शांत रहा लेकिन फिर मेरे पास आकर बोला"यार अरमान, उसने अभी-अभी एक की राइटिंग खराब होने की वजह से सी+ ग्रेड दिया है....मेरी राइटिंग तो उससे भी खराब है मैं क्या करूँ... ,कुछ जुगाड़ जमा ना"
"एक जुगाड़ है..."
"क्या..."
"वो जुगाड़ क्या मैं तुझे चिल्ला-चिल्ला कर बताउन्गा क्या..... कान इधर ला..."
अरुण को जुगाड़ बताने के बाद मैं एक दम सीधा खड़ा हो गया ,क्यूंकी अगला रोल नंबर मेरा ही था.....चूतिए थे शुरू के 10 स्टूडेंट्स जो ड्रॉयिंग शीट को उपर रख कर ले जा रहे थे, मैने ड्रॉयिंग शीट को सबसे नीचे रखा और अब मुझे कैसे भी करके 15 मिनिट्स तक बिना ड्रॉयिंग शीट दिखाए उस फ़ौजी के वॉर को सहना था... क्यूंकी मेरी ड्रॉयिंग शीट तो एक दम सफेद थी... मतलब कि उसमे कोई ड्रॉयिंग थी ही नहीं और यदि वो फ़ौजी भूल से भी मेरा वो कारनामा देख लेता तो मुझ पर अटॉमिक अटैक कर देता और यही वजह थी कि जब अरुण ने मेरी ड्राइंग शीट देखने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया तो मैने उसका हाथ रोक दिया था,क्यूंकी मैं नही चाहता था कि वो गला फाड़कर मुझपर चिल्लाए कि"अरमान, ये तो एक दम कोरा कागज है..."
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"रोल नंबर. 11...."अपनी घड़ी पर 10 सेकेंड्स का समय देखते हुए उसने मेरा नाम पुकारा...
और मैं 6 सेकेंड मे ही उसके पास पहुच गया....जब फ़ौजी मेरी प्रैक्टिकल कॉपी देख रहा था तभी मैने आर्मी वाला मैटर छेड़ दिया, की कैसे कुछ चीनी सिपाही अंदर घुस आए थे... हमें किसी भी हाल मे POK वापस लेना है... जिसके बाद उसने मेरी प्रैक्टिकल कॉपी और ड्रॉयिंग शीट एक तरफ रखवा दी और मुझसे उसी टॉपिक पर बात करने लगा...वो इस डिस्कशन मे इतना खो गया था कि मुझे ,उसको याद दिलाना पड़ा की... 15 मिनट हो गये है
"लेफ्टिनेंट सर ,15 मिनिट्स हो गये है.. अब मुझे इजाजत दीजिये ताकि मै अगले हमले की तैयार कर सकूँ.. जय हिन्द "
"रोल नंबर. 12...."फ़ौजी ने फिर से अपनी स्टॉप वॉच शुरू कर दी और उसी वक़्त अरुण के पास जाकर मैने धीरे से कहा की ..."नेवी के बारे मे इससे बात कर...लेकिन पहले प्रैक्टिकल कॉपी दिखा देना,ताकि उसे शक़ ना हो"
"अपुन को तो बस थोड़ा हिंट चाहिए था ,बाकी दिमाग़ तो मेरे पास भी है....अब तू देख इस फ़ौजी को कैसे चकमा देता हूँ..."
अरुण ने चलते-चलते अपनी सारी प्रैक्टिकल कॉपी एक हाथ मे और ड्रॉयिंग शीट को दूसरे हाथ से पकड़ लिया और टेबल पर बैठे उस फ़ौजी के पास जाकर बोला...
"भारत माता की जय..."
"जय हो भारतमाता की..."एका एक फ़ौजी जैसे खुशी से झूम उठा और अरुण की तरफ देखकर बोला"इस देश को तुम्हारे जैसे जोशीले लड़को की ज़रूरत है...खैर अपनी प्रैक्टिकल कॉपी दिखाओ"
अरुण ने अपनी प्रैक्टिकल कॉपी एक के बाद एक दिखानी शुरू कर दी...शुरू मे जहाँ फ़ौजी अरुण से एक दम खुश हुआ था ,वही अब अरुण की राइटिंग देखकर उसके चेहरे का रंग बदलने लगा था....
"तुम जैसे जोशीले जवान की इतनी खराब पेर्फोमन्स "अफ़सोस जाहिर करते हुए उस फ़ौजी ने अपना चश्मा उतार कर टेबल पर रख दिया और अपना दुख प्रकट किया
"हाथ मे गोली लग गयी थी सर,वरना मेरी राइटिंग का पूरे क्लास मे क्या पूरे कॉलेज मे कोई सानी नही है..."
"हाथ मे गोली लग गयी थी,मतलब..."वापस अपना चश्मा लगाते हुए फ़ौजी ने पुछा...
"मतलब की मैं हॉस्टल मे गिर गया था...और कल रात भर दर्द सहते हुए जैसे-तैसे काम कंप्लीट किया है, सर... ताकि लेफ्टिनेंट सर को यानी की आपको निराश ना होना पडे, सर... भारतमाता की जय "
"भारतमाता की जय, एक्सलेंट, माइ बॉय....एक्सलेंट...मुझे तुम्हारे जैसे जोशीले लड़को को देखकर अपने जवानी के दिन याद आ जाते है...."
"तो अब मैं चलूं.. सर ."